तुरमली क्या है?
तुरमली रत्न एक ऐसा रत्न है, जिसको धारण करने के लिए कुंडली की विवेचना नहीं करनी पड़ती है, यह एक शुभता प्रदान करने वाला रत्न है, इसे कोई भी धारण कर सकता है, यह रत्न सर्वथा धारणकर्ता को लाभ ही प्रदान करता है। कभी भी नुकसान नहीं देता।
हरे तुरमली पत्थर लाभ :
- हरे टूमलाइन या काला तुरमली ऐसा टूमलाइन रत्न होता है, जिसका रंग गहरा हरा होता है, इस रत्न का इस्तेमाल विशेष तौर पर हीलिंग के उदेश्य से किया जाता है।
- हरे टूमलाइन में शक्तिशाली हीलिंग ऊर्जाओं का संचार रहता है, इसे व्यक्ति के जीवन की नकारात्मक ऊर्जाओं को ख़त्म करने के लिए किया जाता है,
- इसके साथ ही अगर हरे टूमलाइन का लॉकेट धारण किया जाये, तो इससे नजर दोष नहीं लगता और व्यक्ति बुरे प्रभावों से सुरक्षित रहता है।
- अगर हरे टूमलाइन को छोटे बच्चों के गले में लॉकेट के रूप में धारण कराया जाये तो बच्चों को किसी भी प्रकार की नजर नहीं लगती, और बच्चे जल्दी जल्दी बीमार नहीं पड़ते और न ही सुस्त होते है।
- तुरमली रत्न बुध ग्रह की ऊर्जा से भरा रहता है, और बुध ग्रह की रश्मियों को अपनी ओरआकर्षित करता रहता है।
- कोई भी रत्न धारण करने से पहले कई तरह के लोगों से होता हुआ, धारणकर्ता तक पहुँचता है और कई तरह के दूषित हाथों से होकर भी गुजरता है.
- इसलिए तुरमली रत्न को कभी भी धारण करने से पहले उसकी बनी हुई अंगूठी या पेंडल को शुद्ध कर लेना अति आवश्यक होता है।
- अंगूठी/पेंडल को शुद्ध करने के लिए गंगाजल सबसे अच्छा रहता है, उसके बाद विधि विधान से पूजा करते हुए, बुध मन्त्र का जाप करते हुए, बुधवार की सुबह शुभ मुहूर्त देखकर अंगूठी/पेंडल को धारण करना चाहिए।
- तुरमली रत्न की अंगूठी/पेंडल को चांदी की धातु में बनवाना चाहिए, और तुरमली रत्न को सीधे हाथ की कनिष्ठा यानी छोटी उंगली या फिर अनामिका ऊँगली (Ring finger) में धारण करना चाहिए।
- तुरमली रत्न को इन दोनों उंगलियों में से किसी भी ऊँगली में बिना किसी संकोच के अपनी सुविधाअनुसार धारण कर सकते है। इन दोनों ही उंगलियों में धारण करने से बुध अपने पुरे प्रभाव प्रदान करेगा।
धारण की विधि :
मुहूर्त वाले दिन पूजा पाठ वाले स्थान पर हरे रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर तुरमली चाँदी पेंडल रख दीजिए। जोत- धूप जलाकर एक कटोरी में कच्ची लस्सी (दूध में पानी मिलाकर) और दूसरी कटोरी में थोड़ा गंगाजल रखिए। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर इसमें विशेष शक्ति उत्पन्न करने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
ॐ ब्राम् ब्रीम् ब्रोम् सः बुधाय नमः।
मंत्र जाप पूरा होने के बाद नीचे लिखा हुआ प्राण प्रतिष्ठा मंत्र 3 बार बोलें।
ॐ आं हीं कों यं रं लं वं शं संषं हंस
देवस्य प्राणाः इह प्राणाः पुनरुच्चार्य देवस्य सर्वेन्द्रियाणी इहा
पुनरुच्चार्य देवस्य त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनि इहः ॥
पुनरुच्चार्य देवस्य वाङ्मनश्चक्षुः क्षोत्रा घृणानि इहागत्य सुखेन चिरंतिष्ठतु स्वाहा ||
नियम एवं शर्तें -
1- तुरमली लैब द्वारा प्रमाणित रहेगा.
2- पेंडल शुद्ध चाँदी में बना हुआ है.
3- सम्पूर्ण भारत में डिलीवरी फ्री रहेगी.
4- डिलीवरी 5-7 कार्य दिवसों में होगी.