सुनहला :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में मौजूद नौ ग्रहों के लिए अलग अलग रत्न निर्धारित किए गए हैं। ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए ज्योतिषाचार्य भी रत्न पहनने की सलाह देते हैं। हर एक रत्न का का अपना एक महत्व है। इन्हीं रत्नों में से एक है सुनहला रत्न। इस रत्न को पुखराज का उपरत्न माना जाता है। इस रत्न के स्वामी गुरु बृहस्पति है। दरअसल, पुखराज रत्न काफी महंगा आता है जिसे हर कोई धारण नहीं कर सकता है। ऐसे में सुनहला रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। इस रत्न को धारण करने से मान-सम्मान मिलने के साथ धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
सुनहला रत्न धारण करने के फायदे :
इस रत्न को गुरुवार के दिन धारण करना चाहिए। गुरुवार के दिन सुबह स्नान आदि करके पूजा पाठ कर लें। इसके बाद तांबे के पात्र में गाय का कच्चा दूध, गंगाजल, घी, शहद और तुलसी की कुछ पत्तियां डाल लें। इसके बाद इसमें रत्न की अंगूठी या पेंडल भी डाल दें और "ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रूं गुरुवे नमः" मंत्र की एक माला कर लें। इसके बाद इस रत्न को निकाल गंगाजल से धोकर साफ कपड़े से पोंछ लें और फिर अंगूठी हो तो दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में धारण कर लेवे पेंडल गले में धारण कर लेवे। इस बात का ध्यान रखें कि सुनहला रत्न को सोने / चाँदी या फिर अष्टधातु की अंगूठी में ही जड़वाएं।
नियम एवं शर्तें -
1- सुनहला लैब द्वारा प्रमाणित रहेगा.
2- सम्पूर्ण भारत में डिलीवरी फ्री रहेगी.
3- डिलीवरी 5-7 कार्य दिवसों में होगी.